Sunday 18 February 2024

मुक्तक

 वक़्त जब भी हाथ से फिसल जाता है

अनगिनत घावों का समंदर दे जाता है

जब भी वक़्त को काबू में रखा जाता है

सफलताओं का कारवाँ रोशन हो जाता है


अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

विचार

 जीवन में संस्कार ठीक उसी तरह जरूरी हैं जिस तरह शरीर में आत्मा l संस्कारित चरित्र समाज के लिए धरोहर होते हैं वे आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श स्थापित करते हैं l

विचार

 आपकी स्वयं के प्रयासों से अर्जित की गई ऊर्जा को अपनी अमानत बनाएं l इसे सही दिशा में उपयोग करें और अपने सपने साकार करें l इस ऊर्जा को अवसरवादी लोगों पर खर्च ना करें l आपका स्वयं का विकास आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए l

अनिल कुमार गुप्ता अंजुम 

विचार

 मनुष्य का अवसरवादी होना उसके अति महत्वाकांक्षी होने को परिलक्षित करता है l इस प्रकार के मनुष्य समाज के लिए नासूर होते हैं l

विचार

 जनता के वोट के साथ धोखा आज आम बात हो गयी है l इसलिए जनता को दल बदलने वाले नेताओं का पूर्ण बहिष्कार करते हुए अपने वोट को ऐसे नेता को देना चाहिए जो अपना वचन पूर्ण सत्यता के साथ निभाए और जनता के हित को सर्वोपरि समझे l

जागो वोटर जागो l

Sunday 23 July 2023

अफ़सोस – लघु कहानी

 अफ़सोस – लघु कहानी

एक छोटा सा परिवार जिसमे माता , पिता , बेटा , बहू और एक पोता | पोते की उम्र करीब सत्रह वर्ष | परिवार खुशहाल और संपन्न| घर में सभी प्रकार के संसाधन मौजूद| बेटा और बहू दोनों नौकरी करते हैं | पिता कॉलेज में लेक्चरर और बहू सरकारी स्कूल में प्राचार्य |

पोते को सभी कार्तिक कहकर पुकारते | कार्तिक बहुत ही होनहार किन्तु उस पर भी आधुनिक उपकरणों का विशेष प्रभाव था | हाथ में मोबाइल और कान में ईयरफ़ोन | कभी – कभी किसी काम से उसे घर में उसे कोई पुकारता तो उसे पता ही नहीं होता कि कोई कार्यवश उसे पुकार रहा है | इसे लेकर कार्तिक को कई बार झिड़की भी मिल चुकी है | आजकल अमूमन ऐसे दृश्य हर घर में देखने को मिल जाते हैं जहां बच्चे अपने कानों में ईयरफोन पर अंग्रेजी गानों में व्यस्त दिखाई देते हैं |

दादाजी को दो वर्ष पूर्व ही दिल का पहला हल्का दौरा पड़ चुका है | चूंकि कार्तिक के मम्मी और डैडी दोनों रोज नौकरी पर चले जाते हैं तो पीछे से घर में कार्तिक और उसके दादा – दादी रह जाते हैं | आजकल कार्तिक की गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं इसलिए उसका ज्यादा समय घर पर ही व्यतीत होता है | हर समय हाथ में मोबाइल और उस पर गेम और कानों में ईयरफोन पर अंग्रेजी में मधुर संगीत | अंग्रेजी संगीत को मधुर लिखना मेरी बाध्यता है चूंकि आज के बच्चों के लिए मधुर संगीत अंग्रेजी में ही होता है |

दोपहर के करीब तीन बजे का समय था कार्तिक के माता और पिता नौकरी पर गए हुए थे | कार्तिक अपने कमरे में मोबाइल पर व्यस्त , दादी अपने कमरे में आराम करते हुए और दादाजी को नींद नहीं आ रही थी सो वे हॉल में टी वी पर पुरानी हिंदी फिल्म का आनंद उठा रहे थे | सब कुछ सामान्य लग रहा था कि अचानक कार्तिक के दादाजी को दिल का दूसरा घातक दौरा पड़ा | उन्होंने कार्तिक को कई बार आवाज लगाई किन्तु उनकी आवाज़ को सुनता कौन | अचानक कार्तिक को प्यास लगी और वह हॉल में रखे फ्रिज से पानी लेने को आया और दादाजी के अंतिम शब्द “कार्तिक” सुन घबरा गया और दादाजी को संभालने की कोशिश करता तब तक दादाजी इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके थे |

कार्तिक ने माता और पिता को फ़ोन कर सूचना दी और वे भागते – भागते घर आये | घर में दादाजी को जीवित न पाकर वे बहुत ही दुखी हुए | कार्तिक के मन में एक प्रश्न बार – बार घर कर रहा था कि वह चाहता तो दादाजी को बचा सकता था किन्तु उसकी मोबाइल पर कुछ ज्यादा ही व्यस्त होने की आदत से उसने अपने दादाजी को खो दिया | उसे अपनी इस आदत और अपने व्यव्हार पर बहुत ही गुस्सा आ रहा था | उसे पता था कि मृत्यु से पूर्व उसके दादाजी ने उसे कई बार आवाज लगाईं होगी किन्तु ……..|

कार्तिक ने अपने माता और पिता से माफ़ी मांगी और भविष्य में मोबाइल और ईयरफोन के इस्तेमाल को लेकर प्रण किया कि वह कम से कम और केवल आवश्यकता पड़ने पर ही इन चीजों का इस्तेमाल करेगा | उसे अपने किये पर अफ़सोस हो रहा था |

शिक्षा :- मोबाइल औए ईयरफोन का इस्तेमाल सोच समझ और स्थान देखकर करें |

गुमराह – कहानी

 गुमराह – कहानी

एक गाँव में चार दोस्त रहते थे उनके नाम थे – मनोज, पंकज, देव एवं विजय | सभी खेतिहर मजदूर के परिवारों से थे | फिर भी एक बात बहुत अच्छी थी कि उन सब के माता – पिता ने उन्हें आई. टी. आई. तक पढ़ाई पूरी करवा दी थी | मनोज प्लम्बर का काम जानता था | पंकज लकड़ी का काम जानता था | देव ने मेसन का काम सीखा था और विजय ने बिजली का काम सीख लिया था | गाँव की जनसँख्या कम होने की वजह से उन्हें उतना काम नहीं मिल पाता था | गाँव की हालत और काम के आभाव के कारण वे खुद से खुश नहीं थे | उन्हें इस बात का भी दुःख था कि हुनर होने के बाद भी वे अपने घर के सदस्यों की कोई आर्थिक मदद नहीं कर पा रहे थे | इस बात का उन्हें बहुत मलाल था | शहर में काम आसानी से नहीं मिलता यही सोच वे गाँव तक ही सीमित हो गए |


सरकार ने तो घोषणा की थी कि पढ़े – लिखे बेरोजगारों को मासिक बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा किन्तु वह भी कागजों तक ही सीमित होकर रह गया था | परिवार वाले भी आये दिन झिड़कियां देते रहते थे | पर वे सब क्या करते | काम मिले तो आय बढ़े | ऐसे ही समय व्यतीत हो रहा था | एक दिन गाँव का ही एक लड़का गोलू जो आपराधिक प्रवृति का था और जिसके बारे में गाँव के लगभग सभी लोग जानते थे | वो आकर इन चारों दोस्तों को “गुमराह” करने की कोशिश करता है और कहता है कि यदि तुम सब मेरी मदद करो तो हम रातों – रात लखपति बन सकते हैं | चारों दोस्त उसे मन करते हैं | गोलू कहता है कि जल्दी नहीं है एक दो दिन बाद फिर मिलूंगा सोचकर बता देना ऐसा सुनहरा मौका दोबारा नहीं मिलता |


गोलू इस चारों दोस्तों के दिमाग में लालच का एक काँटा फंसा गया | वे सोचते “ कभी हाँ कभी ना “ पर आकर बात टिक जाती | कहीं कोई बड़ा अपराध न हो जाए ये सोचकर पीछे हट जाते | दो दिन बाद गोलू चारों दोस्तों को दोबारा अपने साथ जंगल को ओर बहला – फुसलाकर ले जाता है और अपनी योजना बताता है कि हम मिलकर दूसरे गाँव के सेठ करोड़ीमल, जिनके पास हज़ारों बीघा जमीन है उनको लूटेंगे | लूटने की बात सुनकर चारों दोस्त घबरा जाते हैं और इस अपराध में शामिल होने से मना करते हैं | गोलू कहता है केवल एक बार कोशिश कर लेते हैं यदि सफल हुए तो रातों – रात मालामाल | देख लो हम सब एक सप्ताह बाद इस योजना पर अमल करेंगे कोई दिक्कत हो तो तीन दिन बाद बता देना | और भी बहुत से लड़के हैं गाँव में | गोलू चला जाता है | चारों दोस्त बैठकर एक दूसरे से इस अपराध में शामिल न होने का निर्णय लेते हैं और अपने – अपने घर की ओर चल देते हैं |


अगले दिन गाँव में करोड़ीमल सेठ का एक नौकर आता है और चारों दोस्तों का पता पूछता है और चारों के घर जाकर कहता है कि सेठ करोड़ीमल ने तुम सबको अपनी हवेली में बुलाया है | चारों दोस्त घबरा जाते हैं कि कहीं उनकी सेठ को लूटने वाली योजना का पता तो नहीं चल गया | वे सब किसी तरह से खुद को संयमित कर सेठ करोड़ीमल की हवेली पहुँचते हैं | सेठ करोड़ीमल उस सबसे उनका परिचय पूछते हैं और उनके काम के बारे में पूछते हैं और कहते हैं कि मेहनत करके दो वक़्त की रोटी या फिर “ गुमराह ” होकर रातों – रात माल कमाना चाहते हो | चारों दोस्त सेठ के क़दमों में गिर जाते हैं और कहते हैं कि आपको कैसे पता चला लूट की योजना के बारे में | क्योंकि हमने तो ठान लिया था कि गोले के साथ किसी भी अपराध में शामिल नहीं होंगे |


सेठ करोड़ीमल कहते हैं कि मुझे पता है कि तुम सब मेहनत करके हे जीवन में आगे बढ़ना चाहते हो | अब मैं तुम्हें बताता हूँ कि मुझे कैसा पता चला | तो सुनो हुआ यूं कि मैं जंगल के रास्ते गाँव वापस आ रहा था | लघुशंका के लिए मैं झाड़ियों की तरफ गया तो वहां तुम सबको आपस में बात करते पाया | तुम्हारी ईमानदारी ने मुझे तुम्हें “ गुमराह “ होने से बचाने के लिए प्रेरित किया | तुम सब चाहो तो मेरे घर और खेत में आये दिन होने वाले मरम्मत और अन्य कार्य के लिए नौकरी पर आ जाओ | एक और ख़ुशी की बात है कि मैं जल्दी ही इसी गाँव में एक फैक्ट्री लगाने जा रहा हूँ जिसका काम भी तुम सबको ही करना होगा | और आने – जाने के लिए मैं तुम्हें अलग – अलग मोटर साइकिल दिलवा दूंगा जिसकी क़िस्त तुम अपनी तनख्वाह में से दोगे | फुर्सत के समय तुम सब दूसरे गाँवों में भी लोगों के घर का काम कर सकोगे और अपने परिवार के सदस्यों की मदद कर सकोगे |


चारों दोस्त सेठ करोड़ीमल के चरणों में पड़ जाते हैं और उनका धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने उन्हें “ गुमराह “ होने से बचा लिया | वे ख़ुशी – ख़ुशी अपने घर की ओर चल देते हैं |