Monday 28 March 2011

सत्य

सत्य
सत्य की बातें करो तुम
सत्य जीता हर सदी में
सत्य खोज एक जटिल विषय
मांगता अनगिनत परीक्षण
सत्य प्राप्ति के चरण में
सत्य पढ़ो तुम सत्य गुनो तुम
सत्य देखो सत्य बुनो तुम
सत्य नहीं परिकल्पना
सत्य अवलोकन सत्य राह पर
सत्य राह निर्मित करो तुम
आँधियों से मत डरो तुम
डगमगाना छोडकर
सत्य का पीछा करो तुम
सत्य मन का अमिट बिंदु
गढ़ सको तो गढो तुम
जियो सत्य में मरो सत्य में
सत्य चहुँ और व्याप्त
आत्मा परमात्मा में
प्राप्त कर 
जीवन बनो तुम
सत्य जीता हर सदी में
सत्य की बातें करो तुम



                                               

करो जो बात फूलों की

करो जो बात फूलों की
करो जो बात फूलों की
तो काँटों से  गिला फिर क्यों
करो जो बात जीवन की
तो मृत्यु से फिर डर है क्यों
करो जो बात दिन की
तो रात का भय कैसा
करो जो बात सुबह की
तो शाम की स्याह का डर कैसा
करो जो बात चांदनी की
तो अन्धकार का भय कैसा
करो जो बात मित्र की
तो शत्रु का डर कैसा
करो जो बात समाज की
तो व्यक्ति का डर कैसा
करो जो बात प्यार की
तो घृणा का भय कैसा
करो जो बात परहित की
तो स्वयं का दुःख कैसा
करो जो बात प्रकाश की
तो अन्धकार का भय कैसा
साथ हो परमात्मा तो
जीवात्मा का भय कैसा
साथ हो ब्रह्मात्मा तो
मृत्यु का भय कैसा
जीवन दो धाराओं का नाम है
एक साथ चलती है
तो दूसरी सामने से आती है
जिए इस दम से की
जीने का मर्म मिल जाए
धरती पर
जीवन ही जीवन खिल जाए



 

घबराना नहीं है तुमको

घबराना नहीं है तुमको
घबराना नहीं है तुमको
आगे है बढते जाना
रुकना नहीं है तुमको
आंधियों से है टकराना
पड़ेगा तुम पर भी
आधुनिकता का प्रभाव
एक ही फूँक से उड़ाकर
आगे है बढते जाना
मंजिल तुम्हारी चाहत है
यह सोच कदम बढ़ाना
घबराना नहीं है तुमको
आगे है बढते जाना
रुकना नहीं है तुमको
आंधियों से है टकराना
पीछे जो मुड़कर देख लोगे
खत्म हो जाओगे
रास्ते टेढ़े मेढे मगर
उचाईयों को छूते जाना
घबराना तनिक भी न तुम
तुम्हे पर्वतों से है टकराना
आँखों में हो आशा की चमक
मन में  अंतर्विश्वास जगाना
घबराना नहीं है तुमको
आगे है बढते जाना
रुकना नहीं है तुमको
आंधियों से है टकराना
आंधियां  भी चलेंगी
पर्वत भी हिलेंगे
पर कदम तेरे ए बालक
कदम दर कदम बढ़ेंगे
चीरकर हवाओं का सीना
तुझे है पर्वत पार जाना
थकान से तुझे क्या लेना
पतझड को सावन बनाना
घबराना नहीं है तुमको
आगे है बढते जाना
रुकना नहीं है तुमको
आंधियों से है टकराना
बनकर तू पृथ्वी
बनकर तू टीपू
बनकर तू तात्या
बनकर तू महाराणा
कर देश अभिमान
चरम पर छा जाना
बनकर तू गाँधी
बनकर तू लक्ष्मी
बनकर तू रानी
बनकर तू इंदिरा
हो देश पर न्योछावर
शहीद हो जाना
घबराना नहीं है तुमको
आगे है बढते जाना
रुकना नहीं है तुमको
आंधियों से है टकराना