Thursday 17 January 2013

विस्तृत व्यापक आँचल तेरा


                   विस्तृत व्यापक आँचल तेरा

विस्तृत व्यापक आँचल तेरा
पलता बचपन यौवन मेरा
तेरा नारीत्व बालपन खेले
सुबह सवेरे शाम सवेरे

विस्तृत व्यापक आँचल तेरा
पलता बचपन यौवन मेरा

नूर खिले मेरा तुझसे
संस्कार बने मेरा तुझसे
गिरूं तो मुझे संभाले तू
डरूं तो मुझे बचा ले तू

विस्तृत व्यापक आँचल तेरा
पलता बचपन यौवन मेरा

विद्यमान तुझमे ईश्वरत्व है
पलता तुझमे वात्सल्य है
वैसे तो प्रथम शिक्षक है तू
संस्कृति संस्कार की पोषक है तू

विस्तृत व्यापक आँचल तेरा
पलता बचपन यौवन मेरा

मातृत्व की पुण्यमूर्ति हो तुम
ममत्व से परिपूर्ण हो तुम
आस्तिकता की पुण्यमूर्ति हो तुम
सौंदर्य से माँ परिपूर्ण हो तुम

विस्तृत व्यापक आँचल तेरा
पलता बचपन यौवन मेरा

शैशवावस्था से तुमने पाला है मुझे
माधुर्य तेरा जीवन अलंकार हो गया मेरा
समृद्धि मेरी विस्तार हो गया तेरा 
धीरज तेरा व्यवहार हो गया मेरा


विस्तृत व्यापक आँचल तेरा
पलता बचपन यौवन मेरा

माँ तेरा पातिव्रत्य मातृत्व
माँ तेरा नारीत्व ,ममत्व

माँ तेरा अपनत्व नेतृत्व
जीवन साकार हो गया मेरा

विस्तृत व्यापक आँचल तेरा
पलता बचपन यौवन मेरा

 

राह नीर की छोड़


               राह नीर की छोड़  

राह नीर की छोड़ बनो तुम वीर
राह कायरता की छोड़ बनो तुम धीर

राह निज की तुम छोड़ बनो सर्वस्व
राह आलस की छोड़ बनो तुम कर्मठ

राह कटुता की छोड़ बनो तुम कृतघ्न
राह पशुता की छोड़ बनो तुम मानव

राह शत्रुता की छोड़ बनो तुम मित्र
राह अहम की छोड़ बनो तुम सज्जन

राह उदासीनता की छोड़ अपनाओ तुम कर्म
राह चंचलता की छोड़ धरो गांभीर्य

राह शठता की छोड़ अपनाओ सज्जनता
राह घृणा की छोड़ अपनाओ वात्सल्य

राह मरण की छोड़ धरो अमरत्व
राह अस्त की भूल , उदय हो तेरा

राह नरत्व की छोड़ अपनाओ देवत्व
राह उदासी की छोड़ अपनाओ इंसानियत

राह नीर की छोड़ बनो तुम वीर
राह कायरता की छोड़ बनो तुम धीर

 

माँ


माँ
माँ ,माँ का मातृत्व हो तुम
वात्सल्य से ,परिपूर्ण हो तुम
स्वस्थ पवित्र ,नारीत्व हो  तुम
माँ तेरा ,माँ सा रूप हो तुम

संस्कृति की रक्षक हो तुम
संस्कारों को, पुष्ट करती हो तुम
मातृत्व तेरा सत्य, देवी हो तुम
विनम्रता से सुसज्जित हो तुम

जीवन का अस्तित्व हो तुम
कुशलता और चपलता की मूर्ति हो तुम
आस्तिकता की ढाल हो तुम
जीवन का आधार हो तुम

कर्तव्यपूर्ण जीवन से सुसज्जित
माधुरी की सौगात हो तुम
शिष्टाचार शिरोधार्य हो तुम
शिष्ट एवं गंभीर, नायिका हो तुम

नर हेतु, नारायणी हो तुम
माँ ,गांभीर्य से समृद्ध हो तुम
माँ ,मोक्ष की देहलीज हो तुम
माँ ,जीवन साकार हो तुम

माँ ,गुणवती, आयुष्मती हो तुम
माँ ,तपस्विनी  ,जगजननी हो तुम
माँ ,मनोहारिणी ,हंसवाहिनी हो तुम
माँ, राधिका ,यशस्विनी हो तुम

माँ ,शक्तिमती, भाग्यवती हो तुम
माँ ,धैर्यवती  ,ज्ञानवती हो तुम
माँ, माँ का मातृत्व हो तुम
माँ, वात्सल्य से परिपूर्ण हो तुम

निज जीवन अपनापन पालूँ


निज जीवन अपनापन पालूँ


निज जीवन अपनापन पालूँ
प्रभु महिमा हर क्षण मै गा लूं
विनम्रता बने गहना मेरी
आस्तिकता अलंकार बना लूं

निज जीवन अपनापन पालूँ
प्रभु महिमा हर क्षण मै गा लूं

सर्वस्व लुटा दूं तुझ पर मै
जीवन में भक्ति अपना लूं
निर्मल भाव करूं सिमरन मेरा
निष्कलंक हो जीवन मेरा

निज जीवन अपनापन पालूँ
प्रभु महिमा हर क्षण मै गा लूं

विजय प्राप्त हो मुझे स्वयं पर
योग को जीवन में अपना लूं
संयम बन जाए उपमा मेरी
संकल्प मार्ग पर बढ़ता जाऊं

निज जीवन अपनापन पालूँ
प्रभु महिमा हर क्षण मै गा लूं

निर्दोष नेत्र अवलोकन चाहूँ
आलिंगन प्रभु मै तेरा पाऊँ                        
उत्तम अवसर सुकर्म मिले प्रभु
निष्काम भाव से बलि – बलि जाऊं

निज जीवन अपनापन पालूँ
प्रभु महिमा हर क्षण मै गा लूं



पावन चरण


पावन चरण
पावन चरण पड़े, तेरे जग में
शीतल मेरी हो, गई काया   
निर्मल हो जाए ,मन मेरा
मुझमें ऐसा, पुण्य जगा दो

पावन चरण पड़े, तेरे जग में

कर्मशील, हो जाये जीवन
मुझमे ऐसा, भाग्य जगा दो
मानव सेवा ,सर्वोपरि समझूं
जीवन सेवा, भाव जगा दो

पावन चरण पड़े, तेरे जग में

भक्ति मार्ग , कर्म मार्ग हो
सत्य राह और , सत्य मार्ग हो
निर्मल पावन चरित्र हो मेरा
मुझको सच्ची राह दिखा दो

पावन चरण पड़े, तेरे जग में

आदर्शों को मै राह बना लूं
व्यक्तित्व को अपने मै निखारूँ
तारा बन अम्बर पर चमकूँ
चाँद बनूँ शीतलता बिखेरूं

पावन चरण पड़े, तेरे जग में

मानवता सा अमृत बन मै
जीवन – जीवन खुशियाँ बिखराऊँ
सूरज सा चमकूँ मै धरा पर
संस्कार निज अमरत्व पाऊं

पावन चरण पड़े, तेरे जग में