Sunday 22 September 2013

कुछ चंद एहसास - २

हम जो किताबों से दोस्ती कर लें
जिन्दगी ज्ञान से: ओत -प्रोत हो
जाए
हम जो पुस्तकों को अपना मित्र
बना लें
जिन्दगी ज्ञान के भण्डार से
अलंकृत हो जाए |


ये धरती हमारी जिन्दगी का नूर
हो:सके
आओ कुछ पेड़ लगायें
पर्यावरण
खुशबू से सराबोर हो सके |


हमने इस प्रकृति से वफ़ा जो की
होती
जिंदगियां सुनामी, भूकंप के
जास का हिस्सा न होतीं |


ग़मों को अपनी जिन्दगी मैं
जो न शामिल न करना हो
तो दूसरों के गमों पर
मरहम लगा कर तो देखो यारों |


सादा जीवन उच्च विचार को.
जो अपनाओगे
जिन्दगी को
अपने बहुत करीब पाओगे 



उन्हें अपनी अकूत दौलत का
बहुत गुमान था
वक़्त की स्याह रात ने
उसे सड़क का भिखारी बना दिया |


कुछ चंद एहसास