Friday 31 July 2015

खुदा करे तू मेरी मुहब्बत का आइना हो जाए

१.


खुदा करे तू मेरी मुहब्बत का आइना हो जाए

जब भी आईने में खुद को देखूं , रोशन
मुहब्बत हो आये


२.

चंद वादे निभा न सके वो इश्क में

खुद को मुहब्बत का खुदा कहते हैं


3.

उम्र हुई कि अब तराजू को संभालें कैसे

आया अब नई पीढ़ी का दौर है


4.

आँखें  वहीं जो कुरआन की आयत पढ़ा करें 

दिल वही जो हर पल खुदा की इबादत किया करे 

5

चार पल की जिन्दगी में ये भागमभाग क्यों

क्या मैं लाया था और क्या लेकर जाऊंगा


६.

खुशी का पता - ठिकाना कहाँ है बताओ
मुझको

इस शहर में मुझको हर शख्स ग़मगीन नज़र
आता है


7.


गिरते को सहारा देता है आज कौन

वो दौर कुछ और था. , ये दौर है कुछ और






Monday 20 July 2015

ग़ज़ल

गज़ल

तुझे दर्दे गम से मिलाऊँ क्या , तुझे दर्दे गम मैं सुनाऊँ क्या

जी रहा हूँ मैं तेरी याद में, तन्हाइयों से मैं मिलाऊँ क्या

बिस्तर की सिलवटों से पूछो , दिल की बेचैनी मैं सुनाऊँ क्या

पल--पल की बेचैनी न पूछो , ख्वाहिशे मुहब्बत मैं बताऊँ क्या

उस खुदा से कुछ मुझे गिला नहीं, उसकी बेवफाई मैं बताऊँ क्या

बरसों से देखा जिसे नहीं , पता उसका मैं बताऊँ क्‍या

गुलशन में फूल जिसके खिले नहीं, उसे खुशबू से मैं मिलाऊँ क्या

खूबसूरत दिन, खूबसूरत रातें , कहते हैं किसे

मुझे साथ उसका मिला नहीं , तनहा रातें मैं बताऊँ क्या

मैं मुहब्बत बयाँ न कर सका , दर्दे दिल की दास्ताँ मैं सुनाऊँ क्‍या

उसकी आँखें कुछ कह रहीं, क्या कह रही हैं मैं बताऊँ क्या

उनका वो मुस्कुराना याद है , इस दिल पर क्या गुजरी मैं बताऊँ क्‍या

उनकी हर एक अदा पर हम मर मिटे, ये राज़ तुमको मैं बताऊँ क्‍या

उनके दीदार को तरसती आँखें , ये बेकरारी मैं बताऊँ क्या

इंतज़ार तेरा भा गया मुझे, इस एहसास को मैं बताऊँ क्‍या

बिटिया है घर की रौनक

बिटिया है घर की रौनक

बिटिया है घर की रॉनक, बिटिया है घर का गहना
बिटिया से लागे है , जग सारा अपना
बिटिया से घर हो रोशन , बिटिया से घर हो मंदिर
बिटिया जो रो पड़े तो , जग लागे सूना--सूना
मुस्कान उसकी पल--पल खुशियाँ हज़ार देती
कोयल सी उसकी बोली , मन मोहती वो सबका
चश्मो-चिराग है वो, सब चाहते हैं उसको
उसके बगैर जन्नत भी , लागे सूना--सूना
उसकी ठिठोलियाँ हैं, सबके मन को भाये
रूठ जब वो जाए , सब लागे सूना--सूना
आँखों मैं उसकी बसते ,हैं हज़ार सपने
स्वयं को सजाती , संवारती है बिटिया
बिटिया जो घर मैं हो तो , घर हो जाए गुलशन
बिटिया से खिल उठे है , घर का कोना--कोना
बेटी है घर की जीनत , बेटी से जहां ये महके
बेटियों से जग हो रोशन , खिलता चमन ये अपना
बेटियों ने इस जहां को ,संस्कार हैं सिखाये
बेटी संस्कारी हो तो ,कहलाये घर का गहना
बेटी में देखता हूँ, रोशन मैँ अगली पीढ़ी
आधुनिकता के समंदर मैं जो, जों गोता न लगाएं बेटियाँ

Monday 13 July 2015

फूलों से खुशबुओं को चुराया नहीं करते - मुक्तक


1.


फूलों से खुशबुओं को चुराया नहीं करते
बहती गंगा में हाथ धोया नहीं करते

थोड़ी सी भी गैरत तुममे बाकी है
तो फूलों को यूं डालियों से तोड़ा नहीं करते


२.


खिलने दो फूलों को खुशबुओं की खातिर
उड़ने दो हौसलों को आसमान की खातिर

रोको न राह उनकी ,जो उड़ने को हैं बेताब
खिलने दो कलियों को फूलों की खातिर


3.


इश्क के फूल खिलाकर कहाँ चले गए वो

जब तक था साथ, हर -पल सावन का
एहसास हुआ


4.


उनकी बेपनाह मुहब्बत ,बसी है यादों में

जब तक थे साथ, इश्क का इजहार हुआ


5.


वक़्त हुआ उनका दीदार किये

उनकी बेवफाई का गर्म बाज़ार हुआ




Sunday 12 July 2015

निष्ठुर न बनो कान्हा

निष्ठुर बनो न कान्हा

निष्ठर बनो न कान्हा, मेरी बिगड़ी बना दो
मेरी किस्मत के तारे, आसमां पर सजा दो.

हर - पल तुझे मैं ढूंढूं - मुझको दरश दिखा दो.
निष्ठ॒र बनो न कान्हा , मेरी बिगड़ी बना दो

मुझ निर्बल को प्रभु, बल से सजा दो
मुझ निर्धन को प्रभु, भक्ति मार्ग दिखा दो

चरणों में अपने प्रभु , मुझको जगह दिला दो.
निष्ठर न बनो कान्हा , मेरी बिगड़ी बना दो

आडम्बर की इस दुनिया से , मुझको प्रभु बचा लो
अवगुण मेरे जीवन से , मेरे प्रभु मिटा दो

जीवन की सच्ची राह , मुझको प्रभु दिखा दो
निष्ठ॒र न बनो कान्हा , मेरी बिगड़ी बना दो

वि अपनी प्रभु, दिल में मेरे बसा दो.
बंशी की धुन पर , हमको प्रभु नचा दो

हे कान्हा मेरे प्रभु, मोक्ष की राह दिखा दो
निष्ठ॒र न बनो कान्हा , मेरी बिगड़ी बना दो

इस दुनिया में जीना है तो


इस दुनिया में जीना है तो

इस दुनिया में जीना है तो , अधिकारों हित लड़ना सीखो
सम्मान धरा पर पाना है तो, कर्म राह पर चलना सीखो

जीवन जीने का नाम है, हर पल आगे बढ़ना सीखो
दो पल सुखमय जीना है तो, सत्य राह पर चलना सीखो

देश प्रेम हित मरना है तो, मातृभूमि पर वरना सीखो
चिंताओं से लड़ना है तो, मन को शांत बनाना सीखो

आसमान को छूना है तो, गिर--गिर कर तुम उठना सीखो
चाँद तुम्हारे क़दमों में हो, ऐसे प्रयास तुम करना सीखो

धरती पर हों कदम तुम्हारे, स्वाभिमान हित लड़ना सीखो
स्वाभिमानी हो जीना है तो, कर्तव्य राह पर चलना सीखो

अभिनन्दन तेरा भी होगा, सच को आदर्श बनाना सीखो
मंगल कर्म सभी हों तेरे, धर्म राह पर चलना सीखो

पावन, मंगल छवि हो तेरी, संस्कार तुम वरना सीखो
शुभिंतक सभी हों तेरे, मानवता को धर्म बनाना सीखो

धर्म राह बलि- बलि जाना हो तो, धर्म से मोह लगाना सीखो
मोक्ष राह हो ध्येय तुम्हारा, परमेश्वर से जुड़ना सीखो







बुलंद ज़ज्बे हों जिनके - मुक्तक

१.


श्ण्द ज़ज्बे हों जिनके , उनको यूं निराश किया नहीं करते 
चलें जो राह मंजिल की, उन्हें भटकाया नहीं करते

छू लेंगे वो आसमां , खुदा का करम हो जिन पर
खुदा के बन्दों को यूं , सताया नहीं करते



२.


सितारों को चमकने से रोका नहीं करते
उत्कर्ष की राह पर चलने वालों को , यूं गिराया
नहीं करते

छूने दो तारे उनको, खुदा ने रोशन किया जिनको
७ की राह में कांटे बोकर, खुद को लजाया नहीं करते 


3.


चंद सिक्कों के लिए यूं खून, बहाया नहीं करते
नियाते हैं रिश्तों को यूं, पैसों पर मर जाया नहीं
कर

खुदा ने चार दिन की जिन्दगी से रोशन किया
हमको
मरते हैं रिश्तों की खातिर , यूं रिश्तों को लजाया
नहीं करते 


4.


कुदरत से यूं नजरें, फिराया नहीं करते
कुदरत के नजारों को यूं ,ख़ाक में मिलाया
नहीं करते

कुदरत की खिदमत. खुदा की खिदमत
खुदा की राह से यूं , किनारा नहीं करते





किस्मत में हों जिनकी तारे - मुक्तक

१.

किस्मत में जिनकी हों तारे , उन्हें बहकाया नहीं करते

चलते हैं जो इंसानियत की राह, उन्हें गुमराह किया नहीं करते


खुदाई हो जिनका सबब, वो गुनाह की राह पर खुद को
उलझाया नहीं करते

गर्दिशि में भी हों सितारे तो , खुद को भटकाया नहीं करते


२.


गुलिस्तां से फूलों को यूं तोड़ा नहीं करते
अजनबी को यूं दोस्त बनाया नहीं करते

अक्सर मिलते हैं इश्क में धोखे
यूं ही किसी को अपना बनाया नहीं करते

3.


आँखों से आंसू यूं ही बहाया नहीं करते
किसी हँसते को यूं ही रुलाया नहीं करते

जिन्दगी की राहों में मुश्किलें वैसे ही कम नहीं हैं
किसी चलते राही को यूं गिराया नहीं करते




4.


किसी को यूं बदनाम किया नहीं करते
खुशी हो या गम , जाम पिया नहीं करते

खुद को खुदा का बन्दा कहते हैं जो
किसी को यूं नीचे गिराया नहीं करते


5.

किसी का दिल यूं ही तोड़ा नहीं करते
किसी को यूं ही रुलाया नहीं करते

कहते हैं जो खुद को , उस खुदा का बन्दा
किसी राही  को यूं भटकाया नहीं करते