Tuesday 20 January 2015

खिलाओ फूल , खुशबू का मौसम आया


खिलाओ फूल , खुशबू का मौसम 



आया


खिलाओ फूल , खुशबू का मौसम आया
 
खिलाओ फूल , बहारों का मौसम आया 
 


चाँद के शहर में बसाओ एक घर 
 
धरती के परिंदों , चाँद पर रहने का मौसम आया 
 


अपने हाथ की लकीरों में बसा लो किस्मत
 
खुद को रोशन करने का मौसम आया 
 


पिघलते बादलों का इंतज़ार अब ख़त्म हुआ 
 
मन और तन को भिगोने का मौसम आया 
 


अनमोल है धरती अपनी , अनमोल है माटी 

अपनी 
 
खुद को देश प्रेम से , जोड़ने का मौसम आया 
 


जीवन का दर्शन और जीवन में दर्शन
 
खुद को जीवन से मिलाने का मौसम आया 
 


सत्य एक कभी न ख़त्म होने वाली तलाश 
 
सत्य से खुद को परिचित कराने का मौसम आया
 


खिलाओ फूल , खुशबू का मौसम आया 
 
खिलाओ फूल , बहारों का मौसम आया


आओ दीवाली मनाएं सब मिलकर


 
आओ दीवाली मनाएं सब मिलकर

 
आओ दीवाली मनाएं सब मिलकर 
 
प्रेम की बांटें मिठाई सब मिलकर 
 


गीत रौशनी के गायें सब मिलकर 
 
दीवाली की बांटें बधाई सब मिलकर 
 


दीपों की माला जलाएं सब मिलकर
 
फूलों की सेज सजाएं सब मिलकर 
 


रोशनी की संध्या सजाएं सब मिलकर 
 
दीपों की कतार सजाएं सब मिलकर 
 


आओ पावन करें ये क्षण सब मिलकर 
 
गरीब की झोपड़ी रोशन करें सब मिलकर 
 


भूखों की भूख मिटायें सब मिलकर
 
दिलों की दूरियां मिटायें सब मिलकर
 


आओ दीवाली मनाएं सब मिलकर
 
प्रेम की बांटें मिठाई सब मिलकर


रोशन करो मेरी तन्हाइयों को


 
रोशन करो मेरी तन्हाइयों को 

 
रोशन करो मेरी तन्हाइयों को 
 
पल दो पल के लिए
 
 
रोशन करो मेरी तनहा रातों को 
 
पल दो पल के लिए 

 
मेरी स्याह रातों में रंग भर दो 
 
पल दो पल के लिए 

 
मेरे दिल की खामोश साँसों को जीवन दे दो 
 
पल दो पल के लिए 

 
परिंदों की मानिंद मझे भी पंख दे दो 
 
पल दो पल के लिए 

 
प्यासा हूँ , दो बूँद जीवन की दे दो
 
पल दो पल के लिए 

 
कैद हूँ पिंजरे में , मुझे भी उड़ान दे दो 
 
पल दो पल के लिए

 
दो बूँद पानी, इस सूखी नदी को भी दे दो 
 
पल दो पल के लिए 

 
इन सहमी हुई साँसों को , संवेदनाओं का 

मलहम दे दो 
 
पल दो पल के लिए


मेरी आँखों के सपने


 
मेरी आँखों के सपने


मेरी आँखों के सपने , तेरी बाहों के दीवाने 
 
जीते हैं इस आरज़ू में , ये मुहब्बत के परवाने


खुदा उन्हें बख्से नूर , हमें मुहब्बत का शुरूर 
 
हम पर एतबार हो उनको, सरे बाज़ार नीलाम न

 हो इश्क


मुझे भी हों मयस्सर , तेरे पल दो पल 
 
इसी आरज़ू के साथ , मेरी हर सुबह आये


ख्वाहिशों का ये समंदर , कहीं बिखर न जाए 
 
इंतज़ार मैं कर रहा तेरा , क़यामत की रात तो 

आये


खिला कर चहरे पर मुस्कान , मुझको न रुला

 देना
मुझे एतबार है तुझ पर , मेरे सपनों की 

शहजादी

 
ये बारिश मुझको कर रही है और भी दीवाना
 
तू आये तो किसी बहाने से ही आ जाए


ये आंखें नाम न हो जाएँ तेरे इंतज़ार में 
 
तू मेरी साँसों में बस जा , इस दिल को करार

 आये


मैं पूजता हूँ तुझको , उस खुदा की मानिंद
 
मेरे सपनों को कर रोशन , जीवन ए बहार आये


Monday 19 January 2015

खुशी कहाँ हो तुम



खुशी कहाँ हो तुम 

 
खुशी कहाँ हो तुम , कहाँ है ठिकाना तेरा 
 
क्या तुम बसती हो , उस माँ में नयनों में 
 
जो लोरियां सुनाते समय , नवजात की 

मुस्कान से नेत्रों में झलकती है 
 
खुशी कहाँ हो तुम , कहाँ है ठिकाना तेरा 
 
क्या तुम बसती हो , उस छोटे से बालक के 

ह्रदय में जो माँ के आँचल का आलिंगन पाकर 

प्रसन्न हो उठता है  
 
खुशी कहाँ हो तुम , कहाँ है ठिकाना तेरा 
 
क्या तुम्हारा रेन बसेरा है , किसी गरीब का

 ह्रदय स्थल 
 
जो दो वक़्त का भोजन पाकर खिल उठता है 
 
खुशी कहाँ हो तुम , कहाँ है ठिकाना तेरा 
 
कहीं ऐसा तो नहीं , तुम हो उस प्रियतमा के 

साथ 
 
जो रोज़ पर अपने प्रियतम से मिलन की आस 

अपने मन में संजोये है
 
खुशी कहाँ हो तुम , कहाँ है ठिकाना तेरा 
 
संवेदना रहित मानव का तुझसे नाता 
 
आज के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कहीं स्पर्श करता

 हुआ भी दिखाई नहीं देता 
 
खुशी का अर्थ भी आज समझ से परे हो गया है

खुशी क्या विलासिता में ही सिमट कर रह गयी

 है
आध्यात्म खुली बाहों से उस भागते मानव को

 खुशी देने के लिए बेताब है 
 
व्यक्ति का व्यक्ति से जुड़ाव स्वयं को अँधेरे कुँए

 में महसूस कर रहा है 
 
इंसानियत की राह , मानवता स्वयं के अस्तित्व

 पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं 
 
सामाजिकता , नैतिकता, प्रेम , प्यार, भक्ति

 , आध्यात्म , संवेदना सभी एक ही प्रश्न कर 

रहे हैं 
 
खुशी कहाँ हो तुम , शायद हमारे साथ 
 
या मानव ह्रदय से कोसों दूर


Saturday 17 January 2015

वह खिलना चाहती थी


वह खिलना चाहती थी
वह उड़ना चाहती थी

उसके भी कुछ सपने थे
उसके मन की व्याग्र्ता

उसे सोने नहीं देती थी
फिर ऐसा क्या हुआ

क्यों बिखरे सपने उसके
क्यों वह उड़ान न भर सकी

क्यों वह खिल न सकी
क्या यही है आज की
लड़कियों का भाग्य



करिश्मा उसके हुस्न में था


करिश्मा उसके हुस्न में था
करिश्मा उसकी निगाह में था
हम हो लिए उसके
करिश्मा उसकी अदाओं में था

आँखों से क़त्ल कर
खुद को कहते बेगुनाह
हमारा क्या गुनाह था
जो हम तेरी आँखों के शिकार हुए

रिश्ता – ऐ – वफ़ा का कुछ ख्याल करो
पाक मुहब्बत पर एतबार करो
यूं ही नहीं नसीब होती मुहब्बत हर किसी को
कुछ तो इस पाक रिश्ते पर एतबार करो

अजब सी कशिश है ये आशनाई
गजब है ये मुहब्बते खुदाई
अज़ीज़ मानते हैं वो मुझे अपना
क्या नायाब चीज ये खुदा तूने बनाई

सफ़र पर जाओ तो मेरी यादों को बरकरार रखना
मैं तेरा हमराज हूँ , ये बात याद रखना
मिलते हैं बहुत से मुसाफिर राहों में
मैं तेरी यादों में रहूँ बसर , ये आरज़ू करना

इज़हार  कर गर है तुझे मुहब्बत मुझसे
इकरार कर गर है मेरे इश्क पर भरोसा तुझको
आसान नहीं होती मुहब्बत की राहें , ये तुझे है पता
एतबार कर गर है उस खुदा पर भरोसा तुझको

इंतज़ार कर गर है भरोसा मुझ पर
एतबार कर गर है तुझे मुहब्बत पर अपनी
इकरार कर गर तुझमे है एहसासे मुहब्बत
बुलंद कर राहे मुहब्बत , गर तेरे हैं कुछ सपने