Sunday 30 August 2015

सफ़र

सफ़र

सितारों की जगमगाहट

का लुत्फ़ ले

बस के सफ़र को

मैंने और भी ज्यादा

आनंददायक बना लिया था

सफ़र को हसीं बनाने के लिए

आसपास के प्राकृतिक

नजारों को

कुछ अलग ही नज़र से

निहारना पड़ता है

वे चाहे घर हों

बागान हों

धरती पर

चांदनी बिखेरता चाँद

टिमटिमाते तारे

पास से गुजरते वाहन

प्राकृतिक दृश्य

कहीं दूर

बल्ब की रौशनी में

रोशन एक झोपड़ी

सड़क के दोनों और के वृक्ष

कुछ फूलों से लदे

कुछ कोमल पत्तों का साथ लिए

कुछ पेड़ ऐसे

जिन पर लताएँ

 शोभायमान हो रही हैं

एक प्राइवेट स्कूल

रंगबिरंगी बिजली में

नहाया हुआ

 बीच रास्ते में ढाबा

अजब रौनक बिखेरते हुए

उसके आगे पेट्रोल पम्प

का नज़ारा

मजदूर अपने घरों को

साइकिल पर लौटते हुए

दूर रेलवे ब्रिज पर से

गुजरती ट्रेन का दृश्य

आसमान में पंख फैलाए

हवाई जहाज

आसमान को

छूने के प्रयास में

पंक्षी अपने आशियानों

को लौटते हुए

नदी किनारे

लोगों का जमावड़ा

गर्मी से निजात पाने

के प्रयास में

इन दृश्यों ने मुझे

अपनी और

आकर्षित करने में

कोई कसर नहीं छोड़ी

नींद कब आ गई

पता ही नहीं चला

सुबह उठा

तो बस

चांदनी चौक पर

खड़ी थी


Thursday 27 August 2015

ज़माने गुज़रे


1.

ज़माने गुज़रे एक तेरे दीदार को सनम
कया तुझे मेरी मुहब्बत पर भरोसा नहीं



२.

तेरी चाहत में हम खुदा को भूले
बता आगे तेरी रजा क्या है



3.

बिखरी--बिखरी जुल्फों को संवार ले जानम
इन जुल्फों पर मरने को हम ही काफी हैं


4.


हमको तुमसे वफ़ा की उम्मीद सनम
इबादते इश्क की आरज़ू है ये




खुशबू तेरे बदन की - मुक्तक

१.

खुशबू तेरे बदन की
महसूस कर रहा हूँ मैं
उन खुशनुमा पलों की यादों में
बसर कर रहा हूँ मैं




२.


गुमा न हो मुझको कभी
मेरी तरक्की का
मुझको अपनी पनाह में रखना
ऐ मेरे खुदा


3.

गुलिस्तां मैं खिलूँ मैं फूल बनकर
मेरे मौला
मेरी इस दुआ को कुबूल करना
मेरे मौला


4.

चंद लम्हों की मुलाक़ात में हमने उन्हें
अपना मान लिया
खुदा करे मेरी मुहब्बत को 
वो कुबूल करे




किताब में छुपाकर - मुक्तक

१.

किताब मैं छुपाकर भेजा है ख़त मैंने
तुझको
तेरी एक नज़रे करम की 
आरज़ू है सनम

.२.

कुबूल है मुझको
तेरी हर एक सजा मेरे मौला
मकसदे इबादत मेरी जिन्दगी को
अता कर मेरे मौला



3.

खुद को कुर्बान कर सकूं 
तेरी इबादत में ऐ मेरे खुदा
कोई तो ऐसी सुबह
मुझको अता कर ऐ मेरे खुदा

4.


खुदा ने क्या सोचकर तुझे जमीं  पर भेजा
ये न पूछो तेरी मुहब्बत में 
क्या हाल है मेरा






आहट तेरे क़दमों की - मुक्तक

१.


आहट तेरे क़दमों की , मेरे दिल की धड़कन बढ़ा
खुशबू तेरे बदन की, बेचैन मुझको
कर देती  हैं


२.

उन्हें खुद पर भरोसा है कि नहीं, हमें नहीं रहा
हमें उनसे बेवफाई की उम्मीद नहीं


3.

उस चाँद में तेरा अश्क
 नज़र आता है मुझे 
 ऐ मेरे खुदा
मेरी हर रात पूनम की रात हो.


4.

कायल हूँ मैं तेरे करम का
ऐ मेरे खुदा 
कुदरत की हर एक शै में 
झलकता है एहसास तेरा 





Tuesday 25 August 2015

मुसीबतों के दौर में , दो पल ख़ुशी के ढूंढो - मुक्तक

१.


मुसीबतों के दौर में, दो पत्र ख़ुशी के ढूंढ
 गर्मों की शाम में, खुशियों की सुबह को ढूंढ

सिसकती सॉँसों के समंदर में, उम्मीद की किरण को ढूंढ
वक्त के दरिया से, दो पल  जिन्दगी के ढूंढ

२.


मेरी अमानत हो जाए , या खुदा इबादत तेरी
मेरे अरमानों को नसीब हो जाए इनायत तेरी

आबरू मेरी रोशन हो एक करम से तेरे
हर एक खवाहिश के साथ, हो ये आरज़ू मेरी


3.

अपने आशियाने को उस खुदा के करम से सींचो
चारों पहर अपने दिल में उस खुदा का एहसास लिए


4.

आईना खुद से खुद की पहचान करा देता है.
दौरे मुसीबत में दोस्त को दोस्त से जुदा करा देत है.


5.

इतनी भी आसां नहीं है आसमान की उड़ान
दिल मैं जूनून , हौसलों का साथ ज़रूरी है


६.


इबादत उस खुदा की, तेरा मकसदे जिन्दगी हो
तुझे किसी के इशारे का इंतज़ार न हो





Monday 24 August 2015

उस चाँद को गर हम कहें आसमां का चाँद - शेर


१.

उस चाँद को हम 
.आसमां का चांद कहें

तुझे कहें तो कहें 
 इस ज़मीं।का चांद

२.


तुझको बेपनाह मुहब्बत 
किया करते हैं हम 

तसव्वुर में ही सही 
दो पल के लिए आ जाओ 

3.

मेरी साँसों ने तुझे 
हर पल याद किया 

यूं ही नहीं मुझको रुलाओ 
तुम आ जाओ 

4.

ख़त लिखा था तुझको 
जिगर से मैंने सनम 

जाने का वक़्त हो गया है 
अब तो आ जाओ 






Sunday 23 August 2015

तेरी यादों का साया - मुक्तक

१.



तेरी यादों का साया , मुझसे
कभी जुदा न हो
इस आरज़ू को बना लिया मैने ,
एहसासे मुहब्बत अपना


२.


वो मुझे चाहकर भी,
अपना कह न सके

मेरे प्यार में कोई कमी थी
या उनकी मजबूरी


3.


उन्हें हमारा अंदाज़े मुहब्बत रास न आया ,
कोई बात नहीं
चलो हम अपना इजहारे मुहब्बत ,
बदल लेते हैं तेरी खातिर


4.



इस दिल के ज़ख्मों को करार आये
तुम आ जाओ
इस जिन्दगी में बहार आ जाए
तुम आ जाओ



हवा क्या राह रोके उनकी , जो तूफानों से लड़ना जानें

१.


हवा क्‍या राह रोके उनकी
जो तूफानों से लड़ना जानें
कायर क्या लड़ेंगे सीमा पर
देश हित जो न मरना जानें


२.

हवा क्‍या राह रोके उनकी
जो तूफानों से लड़ना जानें
कायर क्या लड़ेंगे सीमा पर
देश हित जो न मरना जानें



3.



कौन कहता है कौशिशैं कामयाब नहीं होतीं
दौ' कदम इस राह पर चलकर देखो


4.


आग में तपकर ही आदमी सोना बना करता है
इंसानियत की राह पर चलकर ही आदमी
इंसान बना करता है





मत गिनो परिंदों के पर , परिंदों की उड़ान देखो

मत गिनो परिंदों के पर , परिंदों की उड़ान देखो
मत देखो चेहरों को, चेहरों की मुस्कान देखो
मत हंसो गिरने वालों पर, उनकी कोशिश का
आगाज़ देखो
मत उड़ाओ किसी का मजाक, वक़्त का अंजाम




मत देखो किसी के झूठ को, मन की भावनायें
देखो 
मत देखो किसी के जो भीलर की सहदयता
देखो
मल करो संदेह किसी , स्वयं का अभिमान
देखो
मत करो परिहास एसी समय का परिणाम
देखो




मत करो पराजय जी जीत का गुणगान
देखो
मत करो परिवाद किसी का, स्वाभिमान का
यशगान देखो
मत कहो पागल किसी को, परिस्थितियों का
अंजाम देखो
मत करो पाखण्ड पूजा, धर्म मानवता का
यशगान देखो




मत हंसो किसी याचक पर, अभाव का वरदान
देखो
मत करो प्रतिकार किसी का, सत्कार का अंजाम
देखो
मत करो असत्य का समर्थन, सत्य का यशगान
देखो
मत करो चीरहरण की बातें, सतीत्व रक्षा धर्म
समझो




मत लो प्रतिशोध किसी से प्यार. का अंजाम
देखो
मत करो संशय किमी त्याग और बलिदान
देखो
मत करो हिंसा किसी की, प्रेम का अंजाम देखो
मत करो यातना की बातें, उपकार का यशगान
देखो

Sunday 16 August 2015

मेरे सरकार मुझे अपना बना लेना

मेरे सरकार मुझे अपना बना लेना
दो फूल मेरे ऑगन में भी खिला देना
हर वक़्त मैं रहूँ पनाह में तेरी
मुझे अपना इबांदतगार बना लेना

संघर्षों से नाता तोड़ो

संघर्षों से नाता जोड़ो, बीच राह न धीरज छोड़ो
मंजिल पाना सबकी चाहत, मन की चंचलता
छोड़ो
सामर्थ्य तेरा साथ दे तुझको, समृद्धि की राह पर
दोड़ो
जीवन का तुम सार निकालो, चुनौतियों से तुम
मुह न मोड़ो




सागर सा हृदय विशाल बनो तुम , साहस पर
अभिमान करो तुम
सैनिक बन देश हित मरो, हिमालय सा अविचल्र
बनो तुम
मनभावन सत्कर्म करो तुम, संस्कारित व्यक्तित्व
बनो तम
मंगल कर्म सभी हों तेरे, जीवन का सम्मान करो
तुम




तारीफ़ करूँ कया तेरी, औ दुनिया के रखवाले
पाकीजा हो जाए दुनिया, ओ भक्तों के रखवाले
तेरी रहमत का साया , जो मिले बदलें सारे
नज़ारे लि
अपनी इबादत में ले लो हमको, ओ दो जहाँ के
रखवाले




नायाब नजारों से दुनिया को सजाया है तूने
इबादत का मंत्र दिया, फ़रिश्ता बनाया है
तूने
फुर्सत जो मिलनी तुझको मॉौला, इंसान
बनाया है तूने
फ़ाज़िल हो जाएँ हम सब, ये राज़ बताया है
तूने

चंद रोज़ हुए उनसे मुलाकात हुई

चंद रोज हुए उनसे कस मुलाकात हुई
आँखों से आंखें मिर्ली , दिल से दिल
की बात हुई
कुछ हम बोले , कुछ वो बोले
यहीं से हमारी मुहब्बत की शुरूआत हुई




उनकी सादगी पर हम हए थे फ़िदा
दिल से दिल को राह मिला, नजरें
हमारी चार हुई
बेफिक्र थे वॉ उनको हमसे कुछ न था.
गिला
उनको हमारी मुहब्बत रास न आई ,
जाने कया बात हुई 




चराग महब्बत का जलाएं बैठे थे हम
सुबह हुई, शाम हुई, जाने क्या बात हुई
उनका सन्देश मेला, हमारी मजबूरी हैं
हम ये सोचते रहे , वो क्यों पराई हुई




लिखे थे ख़त हमने भी मुहब्बत के उनको
जवाब मिला न हमको , जाने क्या बात हुई
इसमें उनकी भी कोई खता नहीं दिखती
हमको
हमें उम्मीद न थी , मुहब्बत हमारी किसी
को रास न आई कर